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अग्रवाल समाज तेलंगाना एक परिचय

अग्रवाल समाज की सभी शाखाएं क्षेत्रीय स्तरों पर विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी है। यह सभी गतिविधियां मूलतः मानव सेवा या फिर सदस्यों एवं उनके परिजनों के आपसी मेल मिलाप जैसे कार्यक्रमों से जुड़ी हुई है। यूं तो समाज की केंद्रीय समिति, शाखाओं की कई गतिविधियों से जुड़ी होती है, परंतु फिर भी ऐसे कई कार्य होते हैं जो समाज के केंद्रीय समिति के स्तर पर आयोजित होते हैं और इन सभी में शाखाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से अवश्य जुड़ी होती है। समाज की ऐसी ही गतिविधियों का एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।

अग्रसेन जीते महोत्सव

प्रतिवर्ष अग्रकुल महाराज श्री अग्रसेन जी की जयंती का महोत्सव बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाता है जयंती के लगभग 1 माह पहले से ही संबंधित तैयारियों और विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसा क्रिकेट, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, शतरंज, ट्रेजर हैंड, मेहंदी, खाना खजाना, पूजा थाली, चित्रकला, अंताक्षरी, प्रश्न मंच वगैरा शुरू हो जाते हैं। जयंती के दिन सभी शाखाएं अपने-अपने क्षेत्र में महाराजा श्री अग्रसेन जी की पूजा अर्चना के बाद शोभायात्रा के रूप में कार्यक्रम स्थल पर एकत्रित होती है। जलपान की व्यवस्था के तुरंत बाद मुख्य सभागृह में एक सभा का आयोजन होता है। जयंती उत्सव के अवसर पर कोई भी विशिष्ट व्यक्ति, मुख्य अतिथि तथा उद्घाटन करता अग्रवाल समुदाय के ही लोग होते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों से विशिष्ट सजातीय बंधुओं का सम्मान, अग्रमंजूषा के जयंती विशेशाक का विमोचन, पुरस्कार वितरण, विकलांगों को कृत्रिम अंग प्रदान करने, रक्तदान शिविर जैसे कार्य, श्रृंखलाओं के पश्चात रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम से परिपूर्ण इस महोत्सव में सामूहिक भोज की भी व्यवस्था होती है। कई व्यवसायिक व सामाजिक स्टॉलों से सजा यह कार्यक्रम एक मेले के रूप में नजर आता है। अधिकांश जयंती महोत्सव में करीब 10000 सदस्य एवं परिवार के पुरुष महिलाएं एवं बच्चे उपस्थित होते हैं।

होली मिलन समारोह

अग्रसेन जयंती की ही तरह, हर वर्ष होली सम्मेलन भी समाज द्वारा बड़े स्तर पर सभी शाखाओं के साथ संयुक्त रूप से मिलकर आयोजित किया जाता है। अग्रसेन जयंती महोत्सव की ही तरह विभिन्न कार्यक्रमों से परिपूर्ण इस होली मिलन समारोह में भी लगभग 10000 सदस्य परिवार के पुरुष महिलाएं एवं बच्चे उपस्थित होते हैं।

मृगशिरा पर दमे की दवा

मृगशिरा के अवसर पर हर वर्ष समाज की ओर से बातिनी गौड़ बंधुओं द्वारा निशुल्क प्रदान की जाने वाली अस्थमा की दवा लेने हेतु, बाहर से हैदराबाद आए लोगों को मार्गदर्शन, सहयोग एवं सेवाएं प्रदान की जाती है। रेलवे स्टेशन, बस अड्डों तथा हवाई अड्डों पर सूचना केंद्रों के माध्यम से लोगों को उचित मार्गदर्शन दिया जाता है। भवनों तथा धर्मशाला में लोगों को ठहरने की व्यवस्था निशुल्क की जाती है। निशुल्क जल, चाय, नाश्ता एवं भोजन की व्यवस्था होती है। अस्थमा के रोगियों के लिए बीमारी को ध्यान में रखते हुए मरीज के भोजन की भी व्यवस्था होती है। जहां वह दवा प्रदान की जाती है, उस स्थान पर समाज की ओर से सहायता शिविर भी लगाया जाता है। समाज के सभी सदस्य, शाखाओ तथा केंद्रीय समिति के पदाधिकारियों द्वारा तन, मन, धन से सहयोग दिया जाता है। मृगशिरा के अवसर पर प्रदान किए जाने वाले सेवा भाव से पूरे देश में अग्रवाल समाज तेलंगाना ने एक अच्छा परिचय प्रस्तुत किया है।

रक्तदान, नेत्रदान जागृति

रक्तदान, नेत्रदान जागृति समाज के गठन के समय से ही नेत्रदान, रक्तदान जैसे सेवा कार्यों की ओर विशेष ध्यान दिया गया है। विशेष रूप से इन सेवाओं के लिए गठित समिति तथा शाखाओं की ओर से विभिन्न स्तरों पर रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं। नेत्रदान की वचनबद्धता के फार्म भरवाए जाते हैं। समाज के इन सेवा कार्यों से उपलब्ध रक्त और नेत्र का कई जरूरतमंद लोग, विभिन्न अस्पतालों के सहयोग से लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इन सेवा कार्यों को समाज इन दिनों प्रमुखता के आधार पर कर रहा है। महाराजा श्री अग्रसेन जी की जयंती महोत्सव पर भी प्रति वर्ष नियमित रूप से रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है।

मैरिज डाटा ब्यूरो

मैरिज डाटा ब्यूरो अग्रवाल समाज के गठन के समय से ही समाज का मैरिज डाटा ब्यूरो सजातीय बंधुओं के विवाह योग्य युवक-युवतियों के संबंध करवाने में सक्रिय रहा है। ब्यूरो के पास आत्म परिचय नियमित रूप से आते हैं। यह सभी आत्मपरिचय समाज के पास रिकॉर्ड के रूप में गोपनीय रखे जाते हैं। आवश्यकता अनुसार जहां उचित और जरूरी समझा जाता है वही इन बायोडाटा को दूसरों को दिखाया और बताया जाता है। इस कार्य को सुगम तथा अनुशासित ढंग से जारी रखने के लिए ब्यूरो के लिए चेयरमैन तथा को चेयरमैन भी नियुक्त होता है। यह लोग समय-समय पर आवश्यकतानुसार पत्र व्यवहार व टेलीफोन के माध्यम से या फिर निजी रूप से विवाह योग्य युवक-युवतियों के अभिभावकों से आवश्यकता पड़ने पर संपर्क भी करते रहते हैं। मैरिज डाटा ब्यूरो में पंजीकृत युवक-युवतियों के प्राथमिक परिचय बिना नाम के समाज के मासिक पत्रिका अग्रमंजूषा में भी प्रकाशित किए जाते हैं। मैरिज ब्यूरो विवाह के अवसर पर दिखाई पड़ रही अनावश्यक कुरीतियों के विरोध का लगातार आह्वान करता रहा है। बदलते परिदृश्य तथा निरंतर फैलते हुए शहर जैसी स्थिति में वैवाहिक संबंधों के प्रक्रिया जटिल प्रतीत नजर आती है, ऐसे में समाज के मैरिज ब्यूरो द्वारा सहयोग प्रदान करना और जरूरतमंद लोग आवश्यकता अनुसार इससे सहयोग लेना उचित और लाभप्रद है।

प्रिविलेज कार्ड

प्रिविलेज कार्ड समाज अपने सदस्यों एवं उनके परिवारजनों को प्रिविलेज कार्ड नाम की एक सुविधा प्रदान करता है. प्लास्टिक के इस आकृति छोटे से कार्ड पर महाराजा श्री अग्रसेन जी का चित्र कार्ड धारी सदस्य का नाम, परिवार के सदस्यों के नाम और उनके चित्र प्रदर्शित होता है। नगरद्वय के कई व्यापारिक संस्थाएं जिनमें रेडीमेड, सूटिंग, शटिंग, दवाइयां, अस्पताल, डिपार्टमेंटल स्टोर, अस्पताल आदि प्रमुख है, का समाज के इस प्रिविलेज कार्ड से गठबंधन होता है। ऐसे प्रतिष्ठानों से संबंधित सेवाएं खरीदी के समय समाज के कार्डधारक कार्ड को प्रस्तुत करने पर डिस्काउंट प्रदान करते है।

चिकित्सा सुविधा

चिकित्सा सुविधा मानव सेवा माधव सेवा के अंतर्गत समाज के केंद्रीय समिति तथा कई स्थानों पर अलग-अलग या शाखाओं द्वारा संयुक्त रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में सेवाएं प्रदान की जाती है। कई निशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं। इन शिविरों में प्रमुख चिकित्सा द्वारा जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है और इलाज के लिए आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है।

जल शाला

प्यासे को पानी प्रदान करना एक अच्छी सेवा है। समाज के लगभग सभी शाखाएं, अपने क्षेत्र में इस सेवा में सदा अग्रणी रही है। हर गर्मी के मौसम में समाज की शाखाएं अपने-अपने क्षेत्र में जलशालाए स्थापित करती है। वहां से गुजरने वाले सभी राहगीरों को इस सेवा से लाभ प्राप्त करते हैं। कुछ शाखाओं की ओर से तो स्थाई जलशालाए भी स्थापित की जा चुकी है।

कृत्रिम अंग वितरण

कई ऐसे विकलांग है जो आर्थिक रूप से कमजोर रहने की वजह से कृत्रिम अंग लगवाने में असमर्थ रहते हैं। समाज में पूर्ण कोशिश की है कि जरूरतमंदों के लिए आवश्यक कृत्रिम अंग की व्यवस्था की जाए। विगत वर्षों में महाराजा श्री अग्रसेन जी की जयंती महोत्सव के अवसर पर इस सेवा कार्य क्षेत्र में, समाज की ओर से विशेष ध्यान देने की कोशिश की गई है।

महिला समिति

महिला समिति समाज की उप समिति के द्वारा स्वजातीय महिलाओं एवं हमारे समाज के बच्चों के उत्थान की दिशा में सकारात्मक कोशिश की गई है। विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित अनुभवी लोगों की व्याख्यान का आयोजन, तथा बच्चों के लिए गीता ज्ञान शिविर ऐसे आयोजन क्षेत्र में प्रमुख रहे हैं।

सदस्य निर्देशिका

हर दो वर्ष में एक बार प्रकाशित की जाने वाली सदस्य निर्देशिका में समाज के सदस्यों का पूर्ण विवरण बहुत ही सुविधाजनक ढंग से होता है। जिसके अंतर्गत अलग-अलग शाखाओं के अनुसार, सदस्यों के नाम, उम्र, गोत्र, कार्य स्थल तथा निवास स्थान के पते- ठिकाने एवं दूरभाष, जन्म तथा वैवाहिक स्थिति, ब्लड ग्रुप तथा व्यवसाय का उल्लेख होता है। सदस्यों की तथा पारिवारिक जानकारी की दृष्टि से यह समाज के सदस्यों के लिए अति लाभदायक एवं उपयोगी सिद्ध हुई है। समाज के सभी सदस्यों को यह निशुल्क प्रदान की जाती है।

अग्रमंजूषा

अग्रमंजूषा समाजिक पत्रिका, सदस्यों के बीच संचार का एक सशक्त सुगम और प्रभावी माध्यम होता है। अतः अग्रवाल समाज के गठन के समय से ही समाज की मासिक पत्रिका अग्रमंजूषा का प्रकाशन जारी है, जो सदस्यों को निशुल्क भेजी जाती है। इसके अतिरिक्त राज्य तथा देश के अन्य प्रांतों में भी पत्रिका भेजी जाती है। समाज की विभिन्न गतिविधियों, अग्र बंधुओं की उपलब्धियां, विवाह योग्य युवक-युवतियों के विवरण, सदस्यों के बदले हुए पते-ठिकाने, केंद्रीय समिति और विभिन्न शाखाओं के कार्यक्रम, समाज सुधार हेतु बैठकों के लिए गए निर्णय का विस्तृत ब्यौरा दिया जाता है। पाठकों के सुझाव एवं प्रतिक्रिया के अतिरिक्त, विभिन्न विषयों पर विशिष्ट व्यक्तियों से साक्षात्कार, लेख, कविता पाठ और उपयोगी सामग्री का समावेश होता है। इसके माध्यम से समाज की नई उभरती प्रतिभाओं को उजागर करने का भी प्रयास किया जाता है।

समाज सुधार

समाज सुधार की दिशा में अपने यहां आयोजित कार्यक्रमों में निमंत्रण के लिए समाज के कई सदस्यों के घर घर जाकर निमंत्रण पत्रों को बांटने के स्थान पर, कोरियर के माध्यम से निमंत्रण भेजने की दिशा में प्रयास किए हैं, इसे लोगों ने अपने यहां ऐसे ही माध्यमों से प्राप्त निमंत्रण पूर्णा से सहर्ष स्वीकार किया है। बल्कि निमंत्रण भेजने वालों को धन्यवाद और बधाई भेजकर तथा आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित होकर मेंजवानों को उत्साहवर्धक भी किया है। समय बदल रहा है, परिस्थितियां बदल रही है, इसके अनुसार हमें भी हमारी परंपराएं और कार्यक्रमों के आयोजनों के ढंग को बदलना होगा तभी हमारे समाज की प्रतिष्ठा बनी रहेगी। बारात में सड़कों पर नाचना, सभी के लिए असुविधा का कारण होता है। नाच गाने का भरपूर आनंद अपने ही परिवार और विवाह परिसर में लिया जाना चाहिए। इस महंगाई के युग में लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता, जूठन देवी अन्नपूर्णा का अपमान है, ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर समाज के अनुरोध पर कई सदस्यों ने अमल करने का प्रयास किया है।यह सभी अधिकांश समाज की स्थाई गतिविधियां है। इन सभी के अलावा शिक्षा सहायता, प्राकृतिक आपदा और आवश्यक समय पर समाज सदैव देश के साथ आगे रहा है। कारगिल युद्ध, उड़ीसा में बाढ़, गुजरात के भूकंप जैसे दुख में चरणों में समाज द्वारा यथासंभव सहयोग तन, मैन,धन से प्रदान किए गए, जिन सेवा कार्यों की सर्वत्र प्रशंसा हुई है।

अग्र ध्वज

अग्रवालों की ध्वजा, अग्रध्वज के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। प्रत्येक राज्य के प्रतीक स्वरूप वहां के राजा का एक ध्वज होता है, जो राज्य की विशिष्ट स्थानों पर लगाया जाता है। महाराजा अग्रसेन जी का भी एक दौर था, जिसकी रेखा इस प्रकार है-

27″ स 18″ इंच के V कटाव वाले केसरिया कपड़े के मध्य में 18 गोत्रो का सूचक 18 किरणों वाला सूर्य ‘सिल्वर ग्रे’ रंग में बना है। इस सूर्य के अंदर एक ईंट व एक रुपिया इसी रंग में बनाया गया है, जो महाराजा अग्रसेन के अदभुत समाजवाद का प्रतीक है। अग्र ध्वज का प्रयोग धीरे-धीरे कम होता गया। विशेष अवसरों जैसे महाराजा अग्रसेन जयंती आदि पर भी अग्रद्वज कहीं कहीं ही दिखाई देता है। इस घटते हुए प्रयोग के कारण अग्र ध्वज के बारे में कुछ इने गिने लोगों को ही ज्ञात है। अधिक से अधिक लोगों में अग्रध्वज की जानकारी बड़े, इसीलिए यह आवश्यक है कि अपने मुख्य सामाजिक कार्यों को संपन्न करने के समय अग्रवंश  के प्रतीक स्वरूप अग्रध्वज को विवाह एवं अन्य उत्सव स्थलों, घरों व अन्य स्थानों पर लगाने का हम संकल्प लें।

रुपया और ईंट समता और समानता रूपी समाजवाद के प्रतीक चिन्ह है। इस भावना को हृदयगम कर मानव मात्र और स्वजातीय बंधुओं के हित साधन को क्रियान्वित करना है। ध्वज का रंग केसरिया है, जो आन-बान- शान की रक्षा हेतु वीरोचित व्यवहार का द्योतक है।

अग्रवालों का प्रतीक चिन्ह

हमारे 18 गोत्रों के प्रतीक चिन्ह में नागराज जी अग्रवालों की न्याय-शक्ति एवं समृद्धि की सुरक्षा के लिए सदैव किरण रूप में विद्यमान है।
महाराजा अग्रसेन क्षेत्रीय थे। अहिंसा और दया के परिपालन हेतु उन्होंने वैश्य धर्म अपनाया था। खड़ग वीरता की भी प्रतीक है। जरूरत पड़ने पर खड़क धारण (वीरता प्रदर्शित) करने में संकोच नहीं होना चाहिए।
कलश में जल, श्रीफल और अनाज की बालियां जीवन की आवश्यकताएं हैं और हमारा समाज अनादिकाल से वैभव और धन-धान्य से परिपूर्ण रहा है, यह इसकी धोतक है।
स्वास्तिक का चिन्ह सर्व मंगल मांगल्ए का प्रतीक है। तात्पर्य सर्वे भवंतु सुखिनमः और बहुजन हिताय सर्व जन सुखाय की भावना की सर्वोपरि है। हमें हमारे इस अग्रकुल के प्रतीक चिन्ह में निहित भावनाओं को चरितार्थ करना है। इस पावन कर्म में आहुति स्वरूप सभी के सहयोग की आवश्यकता है।

 

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