अग्रवाल समाज हैदराबाद - तेलँगाना (जो कि पूर्व में एकीकृत आन्ध्रप्रदेश था) के तत्वावधान में अग्रकुलप्रवर्तक महाराजा श्रीअग्रसेनजी की 5121 वीं जयन्ती 2 अक्टूबर 1997 को श्रीनगर कालोनी में स्थित श्री साई कल्याण निगमागमम में बड़े ही उमंग, उल्लास व धूमधाम के साथ मनायी गयी थी !
अग्रवाल समाज तेलंगाना की विधिवत स्थापना वर्ष 1998 में की गई थी, जिसके संस्थापक अध्यक्ष श्री शरद पित्तीजी थे ! प्रथम केन्द्रीय समिति में उनके साथी-सहयोगियों में सर्वश्री स्व. अशोककुमारजी टिबड़ेवाला (उपाध्यक्ष), बद्रीविशाल बंसल (मानद मंत्री), स्व. श्यामसुंदरजी पसारी (सदस्य), स्व. डी.पी. संघीजी (कोषाध्यक्ष), विनोद गुप्ता (सहमंत्री) और अन्य थे ! अग्रवाल समाज के बेनर तले पहली शाखा के रूप में वनस्थलीपुरम शाखा का गठन शाखा के संस्थापक अध्यक्ष तुलसीरामजी बंसल के निवास स्थान पर हुई बैठक से शुभारम्भ किया गया था ! आज अग्रवाल समाज की शाखाओं के विस्तार की गिनती 84 शाखाओं तक जा पहुँची है, महिलाओं व युवा वर्ग को प्रोत्साहन देने के चलते उनमें से 18 तो विशुद्ध महिला शाखाएँ व 4 युवा शाखाएँ भी हैं !
अग्रवाल समाज तेलँगाना दक्षिण भारत का सबसे बड़ा अग्रवालों का संगठन है, ऐसी संगठित संस्था जिसमें लगभग 6000 से ज्यादा परिवार पंजीकृत हैं। ऐसे ग़ैर सरकारी गणतांत्रिक व्यवस्थागत समाजसेवी संगठन की मिसाल आपको पूरे देश में कही नहीं मिलेगी !
हर वर्ष समाज की तरफ से जरूरतमंद परिवारों की मदद की जाती है, जिसमें मुख्यत: विधवा पेंशन, मेधावी व जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक सहायता, आर्थिक रूप से असमर्थ अग्रवालों हेतु चिकित्सा सहायता व ग्रुप इंस्योरेंस आदि !
अभी संगठन के चुनाव हर 2 वर्ष में होते हैं, जिसमें प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अनुसार शाखाओं से निर्वाचित केन्द्रीय समिति सदस्य ही केन्द्रीय समिति के पदाधिकारी पद के प्रत्याशी होते हैं और मतदान के अधिकारी भी शाखाओं से निर्वाचित केन्द्रीय समिति सदस्य ही होते थे ! इस वर्ष 2022 में समाज के संविधान में संशोधन करके और सरल बनाते हुए शाखाओं के पाँचों पदाधिकारियों को भी केन्द्रीय समिति के पदाधिकारियों के चुनाव में मतदान का अधिकार दिया गया है ! जिससे हर ख़ास-ओ-आम सदस्य की महत्ता बढ़े और शाखाओं को भी लगे कि हमें भी केन्द्रीय समिति की व्यवस्था में सहभागिता का अवसर मिला है, हालाँकि पदों के प्रत्याशी शाखाओं की वार्षिक साधारण सभा में नियमानुसार चुने गए योग्य केन्द्रीय समिति सदस्य ही होंगे ! यह व्यवस्था भी महाराजा श्री अग्रसेनजी के समाजवाद की एक विशिष्ट प्रक्रिया ही है, जिसमें सत्ता के विकेन्द्रीकरण की भावना निहित है !
हर साल समाज की केन्द्रीय समिति एवं विभिन्न शाखाओं के द्वारा महाराजा अग्रसेनजी की जयंती, होली मिलन, अन्नकूट, दीपावली स्नेह मिलन, सावन की सैर, कवि सम्मेलन, रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिविर, बिज कनेक्ट (व्यापार मेला), खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, महिला उत्सव आदि का भव्य रूप से आयोजन किया जाता है, जिसमें समाज के सदस्य सहपरिवार बढ़-चढ़कर भाग लेकर लाभान्वित होते हैं !
अग्रवाल समाज तेलंगाना का अपना स्वयं का निजी कार्यालय है और अभी इसी साल समाज ने सिकन्दराबाद के पैराडाईज क्षेत्र में लगभग 5000 वर्गफुट का बैंक्वेट हॉल भी ख़रीदा है !
बैंक्वेट हॉल के संस्थापक ट्रस्टियों जो कि स्वतंत्र रूप से व्यवस्थापक भी होंगे, के अनुसार उनका प्रयास रहेगा कि जरूरतमंद व समाज के निम्न व मध्यमवर्गीय आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के भाई-बहनों के बच्चों के विवाह कराने हेतु ससम्मान अच्छे से अच्छा वैवाहिक समारोह नि:शुल्क या कम से कम खर्च में बिना किसी हीन भावना के गौरवशाली ढँग से आयोजित कर सकें !
9 जून, 1998 को गुजरात में आए एक बड़े विनाशकारी चक्रवात से जान-माल का भारी नुकसान हुआ था, इसमें बड़ी सँख्या में लोगों की मौतें हुई थीं, खास कर कांडला के बंदरगाह शहर में ! आधिकारिक आँकड़ों ने तब मरने वालों की सँख्या 1,173 बताई थी, एवं 1,774 लापता हो गए थे, जबकि एक प्रमुख समाचार पत्रिका ने तब दावा किया था कि इसमें कम से कम 4,000 से 10000 लोग मारे गए थे और अनगिनत लापता हो गए थे, क्योंकि शव समुद्र में बह गए थे ! संपत्ति का नुक़सान तो लाखों करोड़ में हुआ था !
मानव सेवा माधव सेवा की उक्ति को वास्तविक रूप में चरितार्थ करते हुए हमने मानवता से सरोकार रखते हुए गुजरात के इन तूफ़ान पीड़ितों की सहायतार्थ तन-मन-धन से सहयोग किया था !
अक्टूबर 1999 की उड़ीसा राज्य में आए भयंकर तूफ़ान और भयावह बाढ़ की विभीषिका एक न भूल पाने वाला मंज़र था ! हमारे उन देशवासियों के सँग पीड़ा के इन क्षणों में एकजुटता दिखाते हुए हमारे समाज ने ट्रक के ट्रक भरके भोजन सामग्री, कपड़ों व कंबल, दवाइयाँ, बिस्कुट आदि भेजकर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाया था !
वर्ष 2001 में गुजरात राज्य में आए भयानक तूफ़ान की त्रासदी में भी हम सहयोग का हाथ बढ़ाने से पीछे नहीं हटे, जिसमें लगभग 25000 जानें काल-कवलित हो गईं थी !
वर्ष 2004 में विशेषकर तमिलनाडू में आई समुद्र की रौद्र विभीषिका “सूनामी” को कैसे भुलाया जा सकता है ? अधिकृत सरकारी आँकड़ों के अनुसार मृतकों की सँख्या 10,749, लापता 5,640 और प्रभावित विस्थापितों की गिनती 27 लाख 90 हज़ार थी ! तटवर्ती मंदिर आदि भी डूब गए थे ! पूरे दक्षिण भारत में समुद्र किनारे स्थित राज्य सूनामी से अत्यन्त प्रभावित थे, विशेषकर तमिलनाडू में तो आलम यह था कि पीने के लिये पानी की कमी और रखने की जगह ही नहीं थी !
हमारे समाज ने तमिलनाडू के तटवर्ती जिलों के कलेक्टरों के अनुरोध पर 1000 लीटर की क्षमता की हज़ारों प्लास्टिक की पानी स्टोरेज हेतु टँकियाँ अन्य सहायता सामग्री के साथ भिजवाई थीं !
वर्ष 2013 में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने केदारनाथ क्षेत्र में भयंकर तबाही मचाई थी ! असमय के जलप्लावन, भारी बरसात, जमीन व पहाड़ों के धँसने से लगभग 7000 जानें चली गई और हज़ारों-लाखों प्रभावित हुए !
कोरोना काल की भयंकर त्रासदी में हमने व्यक्तिगत स्तर पर, विभिन्न सेवा भावी ग्रुप्स के माध्यम से और समाज के मंच से भी अपने-अपने व्यापार, घर-बार और तो और स्वयं के भी जीवन संकट को भूलकर हज़ारों जानें बचायीं, भूखों को भोजन, अस्पतालों में बेड व दवाईयों की व्यवस्था, रक्तदान, प्लाज़्मा, प्लेटलेट्स, ऑक्सीजन कन्संट्रेशन मशीनें, सेनेटाईजर, फ़ेस मॉस्क, व्हील चेयर्स, मुफ़्त में टीकाकरण एवं ज़रूरतमंदों को आर्थिक सहयोग करके महाराजा श्री अग्रसेनजी के प्रतिपादित सिद्धान्त मानव सेवा को माधव सेवा समझकर नि:स्वार्थ भाव से सेवा का जो अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया है, कदाचित ऐसी मिशाल कोई दूसरी असंभव सी है ! हम गौरवान्वित अनुभव करते हैं कि हम महाराजा श्रीअग्रसेन के वंशज अग्रवाल हैं !
अमर हमारा अग्रवंश है,
अमर हमारे गान हैं !
वंशज हम श्रीअग्रसेन के,
हमको ये अभिमान है !!
Mahadev Prasad Agarwal